दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि अच्छे और बुरे स्पर्श की पारंपरिक अवधारणाओं के साथ ही नाबालिगों को आभासी स्पर्श के बारे में भी सिखाया जाना चाहिए। अदालत ने कहा कि नई अवधारणा को उनके पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। अदालत ने कहा परंपरागत रूप से नाबालिगों को नुकसान से बचाने के लिए उन्हें शारीरिक तौर पर अच्छे और बुरे स्पर्श के बारे में सिखाने पर ध्यान केंद्रित किया गया।